Today, I read on facebook, news of kidnapping of girl of 4 years old. Why such crimes are taking place? How people can think of even touching such hyour girls and why? In every newspaper, you will find all news of crime and voilence and nothing else. Hardly any good news!! Who will stop all these. We need a strong leader who can do it. Its a time for Kali avtaar who will take toll of all such evil forces and bring again peace in the world!!!
I remembered a powada or soem freelance writing of Sant Eknath which I read in book "Raja ShivChatrapati" written by Babasaheb Purandare. It is given below.
दार उघड बये, दार उघड |
दार उघड बये, दार उघड |
अलक्षपूर भवानी , दार उघड बया |
माहूरलक्ष्मी , दार उघड बया |
कोल्हापूरलक्ष्मी , दार उघड बया |
तुळजापूरलक्ष्मी, दार उघड बया |
तेलंगलक्ष्मी, दार उघड बया |
कन्नडलक्ष्मी, दार उघड बया |
पाताळलक्ष्मी, दार उघड बया |
अष्टभुजालक्ष्मी, दार उघड बया |
पंढरपूरलक्ष्मी, दार उघड बया |
नमो निर्गुणा निराकार | मूळ आदिमाया तू साकार |
घेउनी दहा अवतार | करी दुष्टांचा संहार |
दार उघड बया | दार उघड बया |
दैत्यकुळी हिरण्यकश्ष्यापू जन्मला | तेणे तुझा भक्त गांजिला |
ते न पाहावे तुजला | त्वा उग्र रूप धरिले |
तेंव्हा क्रोधे स्थंभ फोडुनी | नरसिंहरूप धरून |
दैत्यासी वाढून | प्रल्हाद दिवटा रक्षिला |
दार उघड बया | दार उघड |
सीतेनेची कैवारे | रावण मारिला सापरीवारे |
अठरा पद्म वानरे | गोंधळ मांडीला लंकेसी |
सागर बांधुनी शिळी | करिसी लंकेची होळी |
रावण कुंभकर्ण घेशी बळी | खेळाशी शिरांची चेंडूफळी |
दार उघर बया | दार उघड |
कळीचा प्रथम चरण | दैवते राहिली लपून |
तीर्थे सांडिली महिमान | अठरा वर्ण एक झाले |
म्लेन्छे गांजिले देवभक्ता | महिमा उच्छेदिला सर्वथा |
न चाले जपतप तत्वता |एकरूप सर्व झाले |
बया दार उघड | दार उघड
अर्जुनारथी स्वर होऊनी | वागदोर हाती धरुनी |
रथ फिरवसी कवतुके | बया दार उघड |
गणवाद्य भम भम भम | दन दन दन कडक कडक
तोची गोंधळ अंबे तुजप्रती | बाय दार उघड दर उघड |
ऐसे तुज न पाहावे जाण | म्हणोनी बैसली मौन धरून?
विटेवरी समचरण ठेऊन | निवांत बैसलीस, बये?
नवखंड स्वर्ग मुगुटी झळाळी | बाय दार उघड |
शंख चक्रांकित शोभली | कोटीचंद्रसूर्यप्रभा वेल्हाळी |
एका जनार्दनी माउली | करी कृपेची साउली बया |
दार उघड! बया दार उघड! दार उघड! दार उघड! दार उघड! दार उघड!
No comments:
Post a Comment